शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

रैवत राजा और पौराणिक विज्ञान कथा

रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा हूँ और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा। यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा।
अघोरी बोला- एक पौराणिक कथा सुनो! एक राजा थे रैवत। उनकी एक बेटी थी रेवती। वे उनसे बहुत प्रेम करते थे। वे चाहते थे कि योग्य वर से उनका विवाह हो। उन्होंने सोचा की सब से बड़े ज्योतिषी ब्रह्माजी है। वे ब्रह्म लोग में रहते है। वे ही मेरी बेटी के विषय में जानते है कि मेरी बेटी के लिए योग्य वर कौन होगा। वे अपनी बेटी को लेकर ब्रह्म लोग गए। वहां जाकर वे ब्रह्मा जी से मिलना चाह रहे थे लेकिन उन्होंने देखा ब्रह्मा जी एक संगीत सभा में बैठे संगीत सुन रहे है। वे उनके मिलने की प्रतीक्षा करने लगे। वे ब्रह्माजी से पूर्व परिचित थे। राजा रैवत पृथ्वी के बड़े शक्ति शाली राजा थे।
गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखकर पास बुला लिया और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ? 
राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं?
ब्रह्मा जी जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।
इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु ६६ वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे. 
यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी- 
There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night
प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला- यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है।
 हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है. तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे. मैं अब सभी शवों और प्रेतों को यह विज्ञानकथा बताऊंगा ताकि वो राष्ट्रीय शरीर धारण कर सकें. अनेक वामपंथी यह कहते फिरते हैं की यदि इतना ही उन्नत था हमारा प्राचीन तो प्रमाण क्या है? अब उनको देता हूँ यह प्रमाण. 
अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया.
हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना, आपस में जाति, मत, पूजा पद्धति को लेकर उलझने वालों को देश का शत्रु मानो.

स्वामी प्रणवानंद सरस्वती

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