शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

दुनिया में कोई पुस्तक आसमानी नही

दुनिया में कोई पुस्तक आसमानी नही.मुस्लिम विद्वान्  एवं भारत के इस्लामीकरण के प्रवक्ता जाकीर नायक कहते है कुरान आसमानी पुस्तक है और इस में गलत कुछा भी नही है..परन्तु आज के विचार प्रधान समाज में यह बात बड़ी अटपटी मालूम पड़ती है. क्योंकि दुनिया की कोई भी पुस्तक आसमानी नही है.ये सभी पुस्तके इस धरती के लोंगो की उपज है.और इन सभी पुस्तकों में कालांतर में बहुत सी बाते अपने अपने हिसाब से जोड़ी गई है.इसीलिए इसमे मानवीय भूले और कमियां दिखाई देती है.कुरान साहब भी पहले तो सुनी सुनाइ बातो पर आधारित थी. पहले पुस्तके तो थी नही.श्रुत परंपरा थी. लोग मुहमद साहब की सुनी हुई बहुत सी बाते भुलने भी लगे थे, उन में अपनी बाते भी लोंगो ने जोड़ रखी थी.फिर वर्त्तमान कुरान  साहब मुहमद साहब से शेकडो वर्षो बाद मुस्लिम विद्वानों के द्वारा व्यवस्थित की गई है.फिर भी इन के मूल वक्ता पवित्रात्मा एवं ईश्वरीय शक्ति का अनुभव करनेवाले महा पुरुथे.इन का ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण था इसीलिए इन लोंगो ने इन धर्म ग्रंथों को स्वनिर्मित न कहकर इश्वर निर्मित कहा है.इसको ईश्वर निर्मित कहने के दो कारण मालूम पड़ते है एक तो इन महा पुरुषों में विनम्रता,निरभीमानिता,ईश्वर समर्पण झलकता है और दूसरी बात इस से ग्रन्थ की महता भी बढती है.वेदों के विषय में भी यहि बात कहि गई है.वेद अपौरुषेय है और इस में पुरुष के सहज भ्रम,प्रमाद आदि दोष नही है.लगता है यहि भारतीय विचार जाकिर नायक कुरान के साथ जोड़कर बोल रहे है.लेकिन मुहमद साहब के अनुभव की मूल कुरान क्या थी? और उस में बाद के लोगों ने उन में क्या क्या जोड़ दिया है यह किसी को पता नही...धार्मिक पुस्तकों में जो कमियाँ दिखाई देती है वह बाद के विद्वानों की जोड़ी गई बाते हो सकती है. ऐसे ही वर्त्तमान मनु स्मृति  मूल पुरुष आदि मनु की हो ही नही सकती.जिनके कारण मानव जाती मानव कहलाई,जो सर्व पितरि पुरुष थे वे इतनी कट्टर बाते लिख ही नही सकते थे.वर्त्तमान की मनुस्मृति बाद के लोंगो के द्वारा जोड़ी गई बातों से विकृत है.सदोष है.परन्तु मूल पुरुष और उनकी मूल भावना पवित्र है. यह खोज का विषय है.

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