सोमवार, 17 जनवरी 2011

खुदा की असफलता?

         डा मौलवी मुहमम्द असलम काजमी भाई की जेहाद या फसाद पढ़कर मुझे अछा लगा.परन्तु इस्लाम को नहीं माननेवाले लोग भयंकर नरक भोगेंगे यह खुदा की बात थोड़ी जादती लगी. क्योंकि हिंदी, ईसाई आदि धर्म वालों के लिए उस स्वर्ग के द्वार तोबध ही होंगे और इस्लाम को माननेवालो में भी सच्चे मुसलमान बहुत कम है..तब तो नरक बहुत बड़ी जगह  होगी और स्वर्ग बहुत छोटी.१० प्रतिशत लोग स्वर्ग में आनंद मनायेगें और ९० प्रतिशत लोग नरक में दुख भोगेगें.यह कैसा अत्याचार,भेदभाव? जदी नरक के लोगों में कोई मार्क्स पहुच  गया और उंहों ने विद्रोह कर दिया तो क्या होगा?. खुदा ने  इतनी बड़ी दुनिया बनाई. उसने १२५००० पैगम्बर भेजे, फिर भी खुदा का नरक विभाग ख़तम नहीं हुआ?इतना बड़ा धर्म  के नाम पर खून खराबा फिर भी खुदा असफल? इससे तो अच्छा होता खुदा सब को नेक आदमी ही बना कर भेज  देता.पहले आदमी को गलत बना लो और फिर उस को ठीक करने के लिए पैगम्बर.अवतार भेजो.यह बात कुछ समझमें नहीं आती भाई. उनके अनुसार खुदा ने हर बार १२५०००कमजोर पैगम्बर भेजे.इस बार अंतिम पैगम्बर इकदम सही भेजा. लेकिन इस बार क्या खुदा सफल होगे? माफ़ करो खुदा! मुझे स्वर्ग तो ऐसे ही नहीं चाहिये,कब्र में हजारो साल क्यों सड़ते  रहे/  मुझे तो मेरा देश  ही स्वर्ग से काम नहीं है.मेरी निष्ठा मुझे मेरे ही देश में जन्म देगी. रही बात नरक की तो हमारे लिए इसी धरती को ही ये धर्मांध लोग नरक बनाने पर तुले हुए है.झूठ.छल,कपट,जलन.इर्षा,हिंसा,बलात्कार,गर्रिबों का शोषन,भ्रष्टाचार.आतंकवाद  यह क्या नरक से कम है.फिर आप  किसलिए हो?आप ने धरती को ही स्वर्ग क्यों नहीं बनाया?आप स्वर्ग और नरक के झूठ मुठ के भय और प्रलोभन क्यों दिखाते हो.कहाँ है आप का स्वर्ग और नरक.मुझे तो आप के ही द्वारा भेजे तुम्हारे ही रूप कृष्ण की बात समझ में आती है.//इहैव तैर्जित्स्वगो एषां साम्ये स्तितन मन  निर्दोष ही समां ब्रह्म तस्माद ब्रह्मणि ते स्थित// जिसने जीवन से छल,कपट,असत्य आदि का त्याग कर दिया है.जो निर्दोष है, और जिस का मन सबके प्रति समत्व भाव से युक्त है.उनके लिए इहैव//  यही पर मोक्ष है.उसको प्राप्त करने के लिए ऊपर नीचे जाने  की जरुरत नहीं है.यही जीवन्मुक्ति है.यही है आप का  अंतिम ज्ञान वेदांत की शिक्षा..उसमें तो न स्वर्ग की बात थी न नरक की.जीवन को ही  स्वर्ग बनाने की बात कही थी.अब क्यों आप  अपनी बात बदल रहे हो?क्यों आप  हर बार असफल होते जा रहे हो? माफ़ करो खुदा! ऐसा ही रहा तो आप को अपनी बात बदलनी पड़ेगी.फिर पैगम्बर को भेजना पडेगा.आप भी इतने जल्दी हार मानने वाले नहीं हो.आप इस धरती को ही क्यों नहीं स्वर्ग बनाते?फिर तो तुम्हे  किसी अवतार या पैगम्बर को भेजने  का कष्ट भी उठाना नहीं पडेगा.





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